IQNA-देश के अंतरराष्ट्रीय पाठक क़ासिम रज़ीई ने क्रांति के सर्वोच्च नेता के साथ 14वीं सरकार के प्रतिनिधिमंडल की पहली बैठक की शुरुआत में सूरह अहज़ाब की 23 और 24 आयतें पढ़ीं।
مِنَ الْمُؤْمِنِينَ رِجَالٌ صَدَقُوا مَا عَاهَدُوا اللَّهَ عَلَيْهِ فَمِنْهُمْ مَنْ قَضَى نَحْبَهُ وَمِنْهُمْ مَنْ يَنْتَظِرُ وَمَا بَدَّلُوا تَبْدِيلًا ﴾23﴿
विश्वासियों में ऐसे लोग हैं जिन्होंने ईश्वर से जो वादा किया था उसे ईमानदारी से पूरा किया, उनमें से कुछ शहीद हो गए, और उनमें से कुछ [उसी] की प्रतीक्षा कर रहे हैं और [अपनी मान्यताओं को कभी नहीं बदला]।
لِيَجْزِيَ اللَّهُ الصَّادِقِينَ بِصِدْقِهِمْ وَيُعَذِّبَ الْمُنَافِقِينَ إِنْ شَاءَ أَوْ يَتُوبَ عَلَيْهِمْ إِنَّ اللَّهَ كَانَ غَفُورًا رَحِيمًا
(24)ईश्वर सच्चे लोगों को उनकी सच्चाई का पुरस्कार दे और पाखंडियों को चाहे तो दण्ड दे या उन्हें क्षमा कर दे, क्योंकि ईश्वर सदैव क्षमाशील, दयालु है।
सूरह अहज़ाब
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